A Child is Born Summary

A Child is Born Summary

Description

Based PatternBihar Board, Patna
Class12th
StreamArts (I.A.), Commerce (I.Com) & Science (I.Sc)
SubjectEnglish (100 Marks)
BookRainbow-XII | Part- II
TypeSummary
LessonProse-7 | A Child is Born
Summary TypeShort Summary | 5-Marks
PriceFree of Cost
ScriptIn English & Hindi
Available OnNRB HINDI App
Published OnJolly Lifestyle World

A Child is Born Summary

In English

A Child is Born” is written by the world-famous feminist Australia writer named Germaine Greer. In this prose, Germaine Greer describes many differences between a traditional and modern society in the matters of pregnancy and how to celebrate the birth of the child in both societies?

A pregnant woman of the traditional society in the west does not feel herself alone while she is pregnant because in western society the pregnant mom gets too much respect by her family members and other people. In traditional western society, mom is called by the name of her first child after childbirth. The newly born infant is taken care of by all the members of society.

So, at last, the permission is given by the boy’s mom to go to her mother’s house for the last months of her pregnancy and about the first three months of the baby’s life for better care. So western society are respected and praised too much for their such courage. In traditional western society, the childbirth is celebrated as a ceremony. Many people attend this party with some gifts to see the child and to congratulate that mom.

While In modern western society, pregnant woman has to take care of herself under the guidance of nurses and doctors. In west child is only born to fulfil the needs of parents. So the modern western pregnant woman has to bear all the pains during childbirth and child-rearing.

There is no such system in modern western society. So, we can say that western society is far better than western modern society in the matter of childbirth and child care.

एक बच्चा का जन्म सारांश

हिंदी में

एक बच्चा का जन्म

विश्व प्रसिद्ध नारीवादी ऑस्ट्रेलियन लेखक जर्मेन ग्रीर द्वारा लिखा गया है। इस गद्य में, जर्मेन ग्रीयर ने गर्भावस्था के मामलों में पारंपरिक और आधुनिक समाज के बीच कई अंतरों का वर्णन किया है और साथ ही दोनों समाजों में बच्चे के जन्म का जश्न कैसे मनाया जाता है ये भी बताया है?

पश्चिम में पारंपरिक समाज की एक गर्भवती महिला गर्भवती होने के दौरान खुद को अकेला महसूस नहीं करती है क्योंकि पश्चिमी समाज में गर्भवती माँ को अपने परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों द्वारा बहुत अधिक सम्मान मिलता है। पारंपरिक पश्चिमी समाज में, माँ को प्रसव के बाद अपने पहले बच्चे के नाम से पुकारा जाता है। नवजात शिशु का समाज के सभी सदस्यों द्वारा ध्यान रखा जाता है।

तो, अंत में, लड़के की माँ को उसकी गर्भावस्था के अंतिम महीनों (बच्चे के जन्म के तीन महीनें पहले बेहतर देखभाल) में उसकी माँ के घर जाने की अनुमति दी जाती है। इसलिए पश्चमी समाज का सम्मान किया जाता है और उनके ऐसे साहस के लिए बहुत प्रशंसा की जाती है। पारंपरिक पश्चमी समाज में, बच्चे के जन्म को एक समारोह के रूप में मनाया जाता है। कई लोग इस पार्टी में शामिल होते हैं और बच्चे को देखने और उसकी माँ को बधाई देने के लिए कुछ उपहार भी देते है।

जबकि आधुनिक पश्चिमी समाज में, गर्भवती महिला को नर्सों और डॉक्टरों के मार्गदर्शन में खुद का ख्याल रखना पड़ता है। माता-पिता की जरूरतों को पूरा करने के लिए ही आधुनिक समाज में बच्चे का जन्म होता है। तो आधुनिक गर्भवती महिला को प्रसव और बच्चे के पालन-पोषण के दौरान सभी दर्द सहन करने पड़ते हैं।

आधुनिक पश्चिमी समाज में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए हम कह सकते हैं कि पारंपरिक पश्चमी समाज बच्चे के जन्म और बच्चे की देखभाल के मामले में पश्चिमी आधुनिक समाज से बेहतर है।


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5-Marks Summary

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